लोक आस्था का महापर्व छठ कि आधूनिक कहानी जाने नीचे लिंक पर क्लिक कर के 👇
छट पूजा दीपावली के 6 दिन बाद कार्तिक महीने की षष्ठी यानी छठी तिथि को लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है. नहाए-खाए के साथ शुरू होने वाले इस पर्व में व्रती और महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं एवं छठी मैया की आराधना करती हैं. इस पवित्र व्रत को रखने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है, यश, पुण्य और कीर्ति का उदय होता है, दुर्भाग्य समाप्त हो जाते हैं, निसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती रामायण और महाभारत काल से ही महापर्व छठ को मनाने की परंपरा रही है. नहाए खाए के साथ आरंभ होने वाले लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व को लेकर कई कथाएं मौजूद हैं. एक कथा के अनुसार, महाभारत काल में जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत किया इससे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हुई तथा पांडवों को राजपाट वापस मिल गया. इसके अलावा छठ महापर्व का उल्लेख रामायण काल में भी मिलता है. एक अन्य मान्यता के अनुसार, छठ या सूर्य पूजा महाभारत काल से की जाती है. कहते हैं कि छठ पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्र कर्ण ने की थी. कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे. मान्यताओं के अनुसार, वे प्रतिदिन घंटों कमर तक पान